Soulology (आत्मविज्ञान):- Detection of invisible body of human soul(मानव आत्मा के अदृश्य शरीर का पता लगाना ) =>

 भाग-3    

 
मानव के मृत्यु के बाद शरीर नष्ट अथवा क्षय हो जाती हैं, लेकिन आत्मा कभी नष्ट अथवा क्षय नहीँ होती है। क्योकि मानव शरीर एक ठोस, तरल, दैहिक संरचना हैं जिसे हम विजुअली देख सकते हैं और आत्मा एक वेब, पार्टिकल और विद्युत आणविक संरचना(EMS, इलेक्ट्रो मोलेकुलर स्ट्रक्चर-Electro Molecular Structure) हैं जिसे हम विजुअली देख नही सकते। आत्मा के अंदर जो भी सूचना संग्रहीत रहती हैं, वह सभी सुचना इलेक्ट्रो मोलेकुल के कारण ही संग्रहीत और संसाधित रहती हैं। आत्मा के ब्रेन में इलेक्ट्रो मोलेकुलर रिएक्शन के माध्यम से सुचना विद्युत ऊर्जा बदलकर वो सुचना आत्मा से आत्मा या आत्मा से मानव तक पहुँचती हैं। जब आपके आँखों के स्पैक्ट्रम आत्मा के बॉडी से टकरायेगी तो रिफ्लेक्ट होने के बदले गुजर जायेगी। क्योकि पार्टिकल या परमाणु रूप से कुछ नैनोमीटर पतला है। ऐसे मामले में, अधिकांश सामग्रियां पारदर्शी होती हैं क्योंकि बड़ी संख्या में फोटॉन परमाणुओं के बीच खाली जगहों से आसानी से गुजर सकते हैं। आत्मा का द्रव्यमान प्रोट्रॉन और न्यूट्रॉन के द्रव्यमान का कुछ प्रतिशत हैं । इसका मतलब हैं कि आत्मा की दैहिक रचना क्वार्क और ग्लुओन की बांध्याकारी उर्जा से बना हैं, ऐसा हम एक दॄष्टि में कह सकते हैं क्योँकि क्वार्क एवम्‌ ग्लुओन से ही परमाणु बने हैं । और इसिलिये यह भी कह सकते हैं कि आत्मा वेब भी हैं और पार्टिकल भी हैं क्योँकि वेब और पार्टिकल से ही क्वार्क और ग्लुओन बना हैं । हम आत्मा को वेब फोर्म क्यों कह रहे हैं, क्योंकि हमने आत्मा की आंतरिक संरचना को देखा हैं, आत्मा की पुरे शरीर पारदर्शी स्किन के भितर हड्डी के बदले तीन रेखिक बीम के बंडल से भरी होती हैं, मानो पुरे शरीर में तीन रेखिक बीम का जाल बिछा हों । आत्मा के शरीर में हड्डी के बदले में तीन प्रकार के नाभकिये बीम का जाल होता हैं और नाभकिये बीम अलग अलग रंग के होते हैं जैसे नीला, लाल और पिला पर इसका असल रंग से कोइ तालुकात नही हैं। ये तीनों नाभकिये रेखिये बीम एक बंडल के रुप में एक साथ समानांनतर हर अंग से जुड़ी रहती हैं और साथ ही इस बंडल के चारो ओर एक अत्यधिक संघनित इलेक्ट्रोमैग्नेटिक बादल(IMC)से घिरी रहती हैं। आत्मा का बॉडी संरचना क्रिस्टलीय होती हैं। आत्मा का सभी रासायनिक तत्व दिन में आयनिक अवस्था में वर्म रहती हैं और रात में कोल्ड आयनिक अवस्था में संघनित रहती हैं और इसी करण से हमें कभी-कभी आत्मा दिख जाती हैं।आत्मिक शरीर में मुल रुप से ओक्सिजन, हाइड्रोजन, हिलियम, नाइट्रोजन, कार्बन, सिलिकॉन, सोडियम और फोसफोरस इत्यादि रासायनिक तत्वों के परमाणु मौजूद होते हैं जो आयनिक अवस्था में उपस्थित रहते हैं। डेटा को संग्रहीत और संसाधित, आत्मा मे सभी परमाणु मिलकर एक इलेक्ट्रोन्यूक्लिक न्यूरॉन सेल का निर्मान करता हैं। आत्मा के बॉडी मे इन इलेक्ट्रोन्यूक्लिक न्यूरॉन सेल की संखया लगभग 10 लाख होती हैं। क़्योकि आत्मा पारदर्शी होती हैं और कभी नष्ट नही होती, इसिलिये आत्मा कॉस्मोडेग्रेडेबल नही हैं। वास्तव में आत्मा की शरीर परिवर्तंनात्मक और रेडिओन्युक्लाइड भी होती हैं। क्योकि आत्मा खुद को कई रुपो में परिवर्तन कर लेती हैं और मैंने आत्मा के इन सभी रूपों को देखा हैं जैसे अग्नि रुप, आंशिक रुप, बृहद्रुप और द्रिश्य रुप । सूक्ष्म का मतलब केवल अग्निरुप जो तरंगों व कणों की अद्रिश्य बांध्याकारी उर्जा वाले सेल हैं और ऐसा स्थिर अवस्था में होती हैं, आंशिक रुप में केवल सिर परंतु धड़ का अभाव रहता हैं और ऐसा मोशन/तेज गति अवस्था में होती हैं, बृहद् रुप का मतलब सिर एवम्‌ धड़ दोनों यानि पूर्ण रुप जो खड़े व टहलने की अवस्था में होती हैं और द्रिश्य रुप का मतलब कार्बनिक बॉडी जो मानव को आत्मा दिखाई देती हैं, यहाँ तक कि इंसान के रुप में भी पर ये अवस्था ज्यादा समय तक स्थिर नही रहती हैं। यानि आत्मा वेवसेल स्ट्रक्चर एवम पार्टिकल वेव स्ट्रक्चर दोनों प्रकार की संरचना हैं। आत्मा के शरीर का मुलतह दो भाग होते हैं, पहला सिर और दूसरा दैहिक(धड़)। अगर आत्मा के सिर के अंदर देखेंगे तो पता चलेगा कि जैसे ब्रेन ऑर्बिट मे आग जल रहा हों यानि वो आग जो अद्रिश्य होती हैं । ये अद्रिश्य आग के रुप में आत्मा के सिर के अंदर रैखिक बीम का कॉम्प्लेक्स नेटवर्क हैं जो एक प्रकार का अद्रिश्य न्युक्लिअस किरणें हैं जो एक दूसरे से जुड़ी रहती हैं, यानी एक प्रकार से हम इलेक्ट्रोन्यूरॉन सर्किट नेटवर्क कह सकते हैं। आत्मा के पारदर्शीता को लेकर अगर द्रिश्य बस्तुओ से तुलना करें, जिसे हम देखते हैं और महसुस करते हैं, तो लगेगा कि जैसे पानी(हाइड्रोजन) या काँच(सिलिकन, गैलियम) या हवा(नाइट्रोजन) के माध्यम से पुरा शरीर बनाये गये हों। सचमुच लगता है कि ऐसा ही हैं क्योँकि ब्रह्मांडीये किरणें वे कण हैं जिसमे 99% परमाणुओं के नाभिक होते हैं जो अधिकांश हाइड्रोजन नाभिक (प्रोट्रॉन) हैं और अन्य कण हीलियम(न्यूट्रॉन) नाभिक, बांकी मुक्त इलेक्ट्रॉन(बीटा कण) हैं। अगर क्वांटम रुप से सोचें तो आत्मिक ब्रैन क्वार्क ग्लुओन प्लाज्मा की बॉण्डेड उर्जा से बना हैं जो इलेक्ट्रोक्रिस्टल का निर्माण करता हैं। ब्रैन ओर्बित के अंदर दो प्रकार के नर्वस सिस्टम काम करता हैं पहला इलेक्ट्रो ऑटोमेटीक नर्वस सिस्टम और दुसरा इलेक्ट्रो सोमेटीक नर्वश सिस्टम.......Continue  



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