Soulology and Humanology :-[ Detection of invisible body of human soul ](मानव आत्मा के अदृश्य शरीर का पता लगाना ) =>
भाग-2
आत्मा को देख नही सकते। अब सवाल हैं कि क्यों नही देख सकते हैं ? हम आत्मा को खुली आँखों से इसिलिये नही देख सकते क्योकि आत्मा ना तो ठोस हैं, ना तरल हैं, ना ही गैस हैं। ये तिनो ठोस, तरल और गैस एक द्रिश्यमान पदार्थ हैं जब कि आत्मा अद्रिश्य होती हैं। तो अब सवाल हैं कि इस ब्रह्माण्ड ऐसा कौन सा पदार्थ हैं जिसे हम देख नही सकते ? जिसे हम खुली आँखों से देख नही सकते, वो हैं प्लाज्मा, ग्लुओन, क्वार्क, इलेक्ट्रान, न्यूट्रॉन, प्रोट्रॉन, मैग्नेट, परमाणु, इलेक्ट्रोकेमिकल, गामा किरणें, एक्स किरणें, पराबैगनी विकिरण, इंफ्ररेड, माइक्रोवेव और रेडीओ तरंगें इत्यादि। ये सभी ब्रम्हांड में उपस्थित कण, उर्जा और तरंगें हैं और मानव आत्मा इन्हीं सभी ब्रम्हांडीये ऊर्जा, मैग्नेट, कण और तरंगों से बना हैं। परमाणु का व्यास 0.1 से 0.5 नैनोमीटर, डीएनए अणु लगभग 2.5 नैनोमीटर चौड़ा, प्रोटीन लगभग 10 नैनोमीटर चौड़ा होता हैं। जब गैस को गर्म करते हैं तो प्लाज्मा बनता हैं। पुरे ब्रह्मांड में सबसे प्राकृतिक और ब्यापक रुप से (99 प्रतिशत से अधिक) पाई जाने वाली पदार्थ प्लाजमा हैं। प्लाज्मा नाकारात्मक आवेशित इलेक्ट्रानो और घनात्मक आवेशित आयनो का मिश्रण हैं। प्लाज्मा कण मे विधुत आवेश होने के कारण, ये विध्युत और चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित होते हैं। मानव आँखों में ग्लाइसिन, हाइड्रॉक्सीप्रोलाइन, प्रोलाइन, ग्लाइकोसिलेटेड, हाइड्रॉक्सीलसिन और मोनोसेकेराइड पर्याप्त मात्रा में उपस्थित रहता हैं। हमारी आँखों में जो छवी बनती हैं वो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम मध्यस्त प्रक्रिया के तहत बनती हैं। गामा किरणें, एक्स किरणें, पराबैगनी विकिरण, इंफ्ररेड, माइक्रोवेव और रेडीओ तरंगें मिलकर विध्युत चुंबकीय वर्णक्रम (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम) बनाते हैं जो आँखों के लिये अद़ृश्य हैं। जब हम किसी वस्तु को देखते हैं तब हमारी आँखों से स्पैक्ट्रम निकलता हैं और उस अब्जेक्ट से टकराकर रिफ्लेक्ट हो जाती हैं और हमारे ब्रैन मे जाकर इलेक्ट्रोकेमिकल सिंगनल(ऊर्जावान सिग्नल) में बदलकर आयनों और अणुओं के द्वारा एन्कोडिंग हो जाता है। हमारी आँखों से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम की उत्सर्जित होना, ये इंगित करता हैं कि हमारे ब्रैन ओर्बिट मे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंजन हैं जो स्पेक्ट्रम और वेव को उत्सर्जित(Emiting) भी करता है और अवशोषित(Absorbed) भी करता हैं। इसी कारण हमारे शरीर से ज्यदातर इंफ्रारेड विकिरण निकलता हैं। हमारे ब्रैन ओर्बीट में न्यूरॉन्स का जाल बिछा होता हैं जो आंख, कान, नाक और हमारे सेन्स को विध्युत ब्रेन तरंगों के माध्यम से एक दूसरे के साथ संवाद करके कंट्रोल करता हैं। और इसी संवाद, कंट्रोल और सामंनजस्य चेतना के स्तर और संज्ञानात्मक प्रक्रिया के आधार पर मस्तिष्क तरंगों का पैटर्न बदलता है। मस्तिष्क गतिविधि आमतौर पर मस्तिष्क तरंगों के संयोजन से होती है। कोई क्या कर रहा है, इसको ध्यान मे रखते हुए, एक विशेष ब्रेन वेव दूसरों पर हावी हो जाती हैं। जो ध्वनी हमरे कानों से सुनई देती हैं, वह ध्वनी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें हैं। हवा अणुओं(मोलेकुल्स) से बनी होती हैं। ये अणु विध्युत चुम्बकीये तरंगों को एक-दुसरे से टकराते हुए ले जाती हैं तब हम ध्वनी सुनते हैं। हम मन मे जो कुछ बोलते हैं या हमारे शरीर के आंतरीक जो ध्वनी हैं, उस ध्वनी को इंफ्रासोनिक ध्वनी कहा जाता हैं। हमारे शरीर के गुंजेमान ध्वनी इंफ्रासोनिक ध्वनी हैं। अगर द़ृश्य से जुड़ी हुई कोई ध्वनी साथ में हैं तो कानों के द्वारा इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें भी ब्रैन मे जाकर इलेक्ट्रोकेमिकल सिंगनल(ऊर्जावान सिग्नल) में बदलकर आयनों और अणुओं के द्वारा एन्कोडिंग हो जाता है। फिर जरुरत पड़ने पर आयनों और अणुओं के द्वारा एन्कोडिंग सूचनाएँ इंफ्रासोनिक(ऊर्जावान तरंगें) ध्वनी मे बदलकर मन मे गुंजेमान होने लगता हैं । लेकिन स्पेस मे हवा के अणु नही है, इसिलिये वहाँ रेडियो तरंगों के माध्यम से ध्वनी सुनी जाती हैं। रेडियो तरंगे एक प्रकार की इलेक्ट्रोमैग्नेटिक तरंगें हैं। विकिरण दो प्रकार के हैं (क) इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकिरण :- गामा विकिरण और एक्स विकिरण (ख) कणीय विकिरण :- अल्फा कण और बीटा कण । हमारे शरीर का सभी क्रिया व प्रतिक्रिया ब्रैन के न्यूरॉन सेल के इलेक्ट्रोकेमिकल सांकेतिक मध्यस्त प्रक्रिया के तहत होता हैं। इसीलिये मानव मस्तिष्क जब भि कोई संकेत उत्सर्जित करती हैं तो प्रत्येक को विध्युत उर्जा की अपनी छोटी तरंग उत्पन्न करती हैं। जब आप जाग्रित, तरोताजा और चिंता के स्थिती मे होते हैं तो ये इंगित करता हैं कि आपका ब्रेन बीटा तरंगों का फाइरिंग कर रहा हैं । जब आप उच्च बुद्धि, करुणा, स्मृति और समग्र खुशी से संबंधित कोईं काम करते हैं तो ये इंगित करता हैं कि आपका ब्रेन गामा वेव का फाइरिंग कर रहा हैं और बीटा वेव का काम खत्म हो चुका हैं। फिर जब आप रिलेक्स होते हैं और आंखें बंद करके आराम कर रहे होते हैं तो यह इंगित करता हैं कि आपका ब्रेन अल्फा वेव का फाइरिंग कर रहा है। उसके बाद जब आप हल्की नींद में होते हैं या सोने के लिए ड्रिफ्टिंग करते हैं तो यह इंगित करता हैं कि आपका ब्रेन थीटा वेव का फाइरिंग कर रहा हैं। अन्त में जब आप गहरी, आरामदायक नींद में होते हैं तो यह इंगिन करता है कि आपका ब्रैन डेल्टा ब्रेन वेव का फाइरिंग कर रहा हैं। अब सवाल हैं कि अल्फा, बीटा, गामा, थीटा और डेल्टा क्या हैं? ब्रह्मांड में सबसे अत्यंत सूक्ष्म कण क्वर्क हैं जो पदार्थ का मुल घतक हैं और पदार्थ का निर्माण करता हैं। क्वार्क से बड़ा न्यूट्रॉन और प्रोटॉन हैं। प्रत्येक न्यूट्रॉन(चार्ज 0) और प्रोटॉन (चार्ज +) में तीन क्वार्क होते हैं, जो परमाणु के केंद्रिये भाग (नाभीक) में उपस्थित रहता हैं। जो दो क्वार्क को आपस में जोड़ता हैं उसे ग्लुओन(एक प्रकार का प्लाज्मिक गोंद) कहा जाता हैं और लेप्टोन्स से इलेक्ट्रॉन का निर्मान होता हैं जो दो परमाणुओं को जोड़ता हैं। न्यूट्रॉन और प्रोटॉन से बड़ा परमाणु हैं और दो परमाणुओं को जोड़ने वाला इलेक्ट्रॉन कहलाता हैं। परमाणु से बड़ा अणु हैं। अल्फा, बीटा और गामा रेडिएशन(किरणें) एक परमाणु के नाभीक से निकलते हैं। ये तीनो आयनीकरण के कारण बनते हैं। अल्फा पॉजिटिव चार्ज(+) वाला कण हैं और इसमें कोई इलेक्ट्रॉन नही होता हैं। इंसान के ब्रैन से अल्फा किरण के उत्सर्जन में उर्जा का अभाव होता हैं, इसीलिये व्यक्ति को रेलेक्स और रिचार्ज होना पड़ता हैं। बीटा किरणें नाभिक से उत्सर्जित एक ऊर्जावान इलेक्ट्रॉन हैं और इसका चार्ज निगेटीव होता हैं। परमाणु में एक न्यूट्रॉन की संख्या घट जाती हैं और एक प्रोटॉन की संख्या बढ़ जाति हैं। परमाणु संख्या एक से बढ़ने और ऊर्जावान इलेक्ट्रॉन के उत्सर्जन के कारण ये नेत्र को एक्टिव करता हैं और व्यक्ति के प्रॉब्लम सोल्भ करने में सहायता करता हैं। थीटा और डेल्टा किरणें, ये एक्स-रे और गामा के इलेक्ट्रॉन बादल से उत्सर्जित होने वाली सेकेंडरी इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव हैं। ये कोर टाइप इलेक्ट्रोन हैं। इसका धीमा जैविक प्रभाव होता हैं। ये ब्रेन प्रक्रिया को धीमा कर देता हैं और इसके प्रभाव से व्यक्ति निंद्रा से ग्रसित हो जाता हैं। ब्रैन से उत्सर्जित होने वाला एक इंफ्रारेड तरंगें हैं जो स्लो ब्रैन तरंगें हैं, इसे स्लो कॉर्टिकल पोटेंशियल भी कहा जाता हैं। ये ब्रैन टाइमिंग(दैनीक परिवर्तन को नियंत्रित करना) और नेटवर्किंग फंक्शन में एक प्रमुख भुमिका निभाता हैं। मानव दिमाग में मैग्नेटाइट(टाईटेंनिफेरस मैग्नेटाइट) क्रिस्टल होता हैं। मैग्नेटाइट आयरन का ऑक्साइड हैं। यह एक प्राकृतिक चुंबक हैं। यह सुस्त अंगों को उतेजित करता हैं और अती सक्रिय अंगों को शांत करता हैं। यह तर्क, भाषण, रिकवरी और हीलिंग एनर्जी प्रदान करता हैं।
आगे जारी हैं.......

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