ईश्वर और भगवान
ईश्वर = इश का अर्थ हैं नियंत्रण करने वाला और वर का अर्थ हैं प्राण,आत्मा यानि वो एक निराकार पुरुष जो आत्माओं पर नियंत्रण रखता हैं। ईश्वर के लिये चाहे भगवान हो या इंशान, जानवर हो या प्रकृति सब बराबर हैं, ना कोइ छोटा और ना बड़ा । ये सुप्रीम गॉड हैं । इनका स्थान आसमान में हैं या कहें तो ये पृथ्वी के कक्षा से लेकर बादलों के उपर तक भ्रमण करते रहते है । कॉस्मिक किरण और कण इनके नियंत्रण में रहता हैं। ये सूक्ष्म रूप में रह्ते हैं।
भगवन् = भग सृष्टि का प्रतीक है और वहन करने वाली एक अदृश्य शक्ति को वान या धारक बताया है। भगवान का मतलब भ=भूमि, ग=गगन(आकाश), व=वायु , अ=अग्नि , न=नीर(जल) इन पाँच त्तवों को वान= धारण करनें वाली जिसमे सम्पूर्ण ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, स्मॄति, सौम्यता और वैराग्य हो वो साधारण आत्मा मानव है। यानि हम कह सकते हैं कि हमार मन ही भगवान हैं। और इसिलिये जो सभी की सेवा में लगा रहे, कल्याण करें, ईमानदार हों, सत्यनिष्ठ हों, धर्मप्रज्ञ हों, अहिंसक हों वो मानव भगवान हैं जैसे राम, कॄष्ण, शंकर, शिव, महावीर, धर्मगुरु । भगवान का स्त्रीलिंग भगवती हैं । ये गॉड हैं । इनका स्थान पृथ्वी से लेकर सौ मीटर की ऊँचाई तक हो सकते हैं। इनके नियंत्रण में भक्त रह्ता है जो इनकी भक्ति करता हैं। ये ज्यादातर पूर्ण आत्मिक रुप में रहते हैं क्योँकि ज्यादातर ये भक्तों से घिरे रहते हैं। भक्तो क़े प्रेम इन्हें उनकी ओर हमेशा खिचता रह्ता हैं।

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