चिड़िया योनि में पुनर्जन्म  :-



· हमारे गाँव में एक ब्राम्हण वर्ग के एक गरिव महिला थी । उसका नाम तारा देवी(बदला हुअ नाम) था ।  तारा देवी एक बिधवा औरत थी । तारा देवी की एक पुत्र भी था जो उसके साथ नही रहता था । तारा देवी के मकान के नाम पर मात्र एक छोटा सा झोपरी था । रोटी और कपड़ा की जरूरतों को पुरा करने मे बहुत ही कठिनाइयों का सामना करन पड़ता था । उसके जो अपने सगे सम्बंधी थे, उसे सहयोग नही करते थे । वो रोटी और कपड़े की जरूरतों को आस्पास के लोगो से मांग के पुरा करती थी । तारा देवि को उसके जरूरतों को पुरा करने मे सहयोग के लिये हमारे परिवार के तरफ से एक बकरी खरीद के दी गई । बकरी पालन-पोषण करके वो कुछ हद तक अपने जरुरतो को पुरा कर पाती थी । लेकिन कुछ पैसे जो वो बचा के रखती थी, उस्का बेटा आके ले जाता था । तारा देवी भोजन के लिये दाने-दाने को तरस जाती थी और 24 घंटों में सिर्फ एक बार ही भोजन कर पाती थी, बांकी किसी से मिला तो खाती बरन भुखे रहती । और इसी कारण से वो समय से पहले ही बूढ़ी हो गई, धिरे-धिरे उनकी स्थिति गिरती चली गई और एक दिन वो इस दुनिया को छोड़ के चली गई । तारा देवी के मृत्यु के लगभग 35 वर्ष हो गये । उसके पेट की भुख उसकी आत्मा की भुख बन गयी थी । इसिलिये तारा देवी की आत्मा के दुनिया से भी मृत्यु हो गई हैं । वो जिंदगी कि ओर कदम बढ़ाने से पहले उसे पता चलता हैं कि वो एक पँछी यानी चिड़िया की योनि में जन्म लेगी । इसी साल में वो एक चिड़िया की जिंदगी पाकर वो इस उन मुक्त गगन में, इस बन उपवन में दाना चुंग कर भर पेट भोजन कर पायेगी । हे इश्वर उनकी जिंदगी सफल हो !  



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