मन्नत, मौत और पुनर्जन्म : -
सबिता देवी को एक भी पुत्र या पुत्री नही थी, इसिलिये उनके संबंधीयों में से एक महिला ने दुर्गा जी से एक पुत्र के लिये मन्नत माँग लिया और दुर्गा जी से बोल दी थी कि पुत्र के प्राप्ति हों जाने पर आपका मन्नत पुरा कर दूँगी। महीनों बीत जाने के बाद सबिता देवी को एक पुत्री की प्राप्ति हों गई और पुत्री का निभा कुमारी रख दिया। समय गुजरने के साथ निभा लगभग 10 वर्ष की हो गई, लेकिन किसी ने दुर्गा जी का मन्न्त पुरा नही किया। इसिलिये दुर्गा जी नाराज हो गई और एक रात जब निभा सोई थी तो चूहे कई बिल से साँप निकालकर काट लिया। निभा को इलाज के लिये ले जाया गया परंतु उसे बचाया न जा सका और उसकी मौत हो गई । दुसरी ओर गाँव के ही एक महिला निर्मला देवी को दो पुत्र तो था पर एक भी पुत्री नही थी, इसिलिये निर्मला देवी ने पुत्री की प्राप्ति के लिए भगवती से मन्न्त माँगी और पुत्री की प्राप्ति हो जाने पर मन्न्त पुरा करने का वादा किया। निभा की मौत के 20 साल गुजर जाने के बाद उसे पुनर्जन्म का समय आ गया तो निभा ने एक रात अपनी माँ को जन्म लेने से सम्बन्धित बाँट बताई। निभा रोती हुए माँ क़ो बताती हैं, "माँ ! हम तुम्हांरे पुत्री के रुप में जन्म लिए तो बहुत ही अच्छा जीवन गुजरा । माँ ! मुझे तुम्हांरा ममता, प्यार, दुलार के साथ सम्मान भी मिला । परंतु माँ !! देखों ना ! इसी गाँव मेँ दुसरी जाति के निर्मला देवी के पुत्री के रुप में मैं जन्म लूँगी । माँ !! मॆं उसके परिवार के बिशय मे मुझे पता हैं, वो मुझे बहुत भद्दी-भद्दि गाली देगी और पिटाई भी खुब करेगी, और इसिलिये मैं उस घर मे जन्म नहीं लेना चाहती । माँ !! मुझे रोक लो ना ! मैं फिर से तुम्हांरी पुत्री के रुप आना चाहती हूँ या फिर से तुम्हारे ही परिवार के बेटी बनना चाहती हूँ । उस परिवार मे मेरा कोइ सम्मान, कद्र, इज्जत नही मिलेगा । वो मुझे बहुत मारेगी माँ !! " निभा सारी बात बोलते हुए बहुत रोई । जब सबिता सुवह उठी तो निभा के बातों को लेकर बहुत चिंता हुई और उसके चिंता मे खुद रो भी पड़ी । लेकिन वीधि का विधान जो होना है वो हो के रहेगा । निभा भगवती की कृपा सें निर्मला के पुत्री के रुप में जन्म ले लिया । आज वो लड़की लगभग 15 साल की हैं और निभा ने अपने जिंदगी को लेकर जो चिंता जताई थि वो चरितार्थ हो रही हैं ।
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