डायनीं प्रभाव और भुत का प्रकोप :- 

         


डायन:– 
डायन का मतलब होता है, ‘लीडर ऑफ निगेटिव एनर्जी‘। लीडर या तो पुरुष या स्त्री होती है जो निगेटिव एनर्जी को ऑपरेट करती है। निगेटिव एनर्जी में कई सारे मेल एंड फीमेल चाइल्ड, एल्डर, यंगर और ओल्डर एविल स्पिरिट या डेविल या डेमोन इत्यादि का मिश्रित संगठन होता है, जिसका घोस्ट में से ही कोई एक अध्यक्ष होता है जो ह्यूमन लीडर का अपना खास कोई रिश्तेदार जैसे पति, पत्नी, बेटा, बेटी, माता या पिता में से कोई एक होता है। चीफ ऑफ एविल स्पिरिट को पावरफुल बनाने के लिए अनेक प्रकार के घोस्ट को जोड़ी जाती है। डायन दो प्रकार के होते हैं, 1) माशानी २) अमाशानी। जो माशान के द्वारा मंत्रों का साधना करते है उसे डायन कहा जाता हैं और जो जप, तप एवं ध्यान के माध्यम से साधना करते हैं उसे जादूगर·जादूगरनी या ओझा-भक्ता या भक्तिनिया कहा जाता है। जो मशानी डायन सीखते हैं वह क्रूर मिजाज के होते हैं और मार·घात करते है। लेकिन जो जप, तप, ध्यान से सीखते है वह ज्यादातर मामलों में ज्यादा क्रूर नही होते और मार·घात बहुत कम करते है। माशानी साधना में अपने कोई एक क्लोज रिश्तेदार को बली देनी होती है। ये बली किसी हथियार या किसी अन्य तरिके से नही की जाती बल्कि यह बली डायन के द्वारा सिखी गई तंत्र-मंत्र, जादू के माध्यम से दी जाती हैं। बली देने से पहले अध्यात्मिक देवी या देवता(holly or evil) और डायन के बिच रजामंदी-करार ली जाती हैं, ऐसा इसिलिए होता हैं कि डायन कें द्वारा जो भी क्रिया की जाएगी उसका पुरा का पुरा भागिदार और दोषी सिर्फ डायन होगी, सारा पाप का बोझ डायन के सर चढ़ेगा। क्योँकि जो भी गुण देवता के द्वारा दी जाती हैं वह सिर्फ भलाई करने के लिए दी जाती हैं, ना की मार-घात करने के लिए। लेकिन अमाशानी साधना में अपने रिश्तेदार को बली नही देनी पड़ती हैं। अमाशानी साधना में पूर्व में मरे हुए रिश्तेदार को ही विस्वास में लेकर, उसे अपने बस में करके या उसकी पुजा-पाठ करके उससे काम ली जाती है तथा उस काम के बदले में उसे मनवांछित भेँट चढ़ाई जाती हैं। माशानी और अमशानी डायन या ओझा ज्यादातर स्वार्थी, लोभी, फ्रॉड और बेईमान लोग होते है, जो ज्यादा से ज्यादा सुख व धन पाने लिए इस प्रक्रिया को उपयोग में लाते है। डायन अपने पॉवर को बढ़ाने के लिए भिन्न–भिन्न गुण और काम में माहिर जीवित आदमी को मार देते है, ये मौत केवल स्पिरिचुअल तरीक से कि जाती हैं। लेकिन ओझा-भक्ता अपनी पॉवर को बढ़ाने के लिए भिन्न·भिन्न गुण और काम में माहिर आत्मा को मोहकर, प्रलोभन देकर अपने पास रखते है। कुछ मामलों में, किसी के घर में चोरी, डकैती करनी हो, तो जिस घर चोरी करनी है उस घर के लॉकर, सोने–चांदी, रुपए इत्यादि कहां–कहां पर रखे हुए है, इसकी जानकारी को पता लगाने में ओझा-भक्ता सहयोग करते है।


भूत का प्रभाव :-
एक भूत किसी पर कितना प्रभावशाली होगा, ये डायन तथा ओझा-भक्ता के अपनी शक्ति और समझ·बुझ पर निर्भर करती है। डायन के पास जितनी अधिक भूतों का जमावड़ा होगा उतनी ही अत्यधिक डायन पावरफुल होगी। अगर डायन को किसी बात की तकलीफ है या किसी से नफरत है तो वह पहले उस व्यक्ति के कमजोर नश को तलाश करके उस पर जादू चलाएगी। जादू मारने का मतलब है उस व्यक्ति को हानी पहुंचाने या मारने के लिए अपने आत्मा को आदेश देना। आदेश मिलने पर एविल स्पिरिट उस व्यक्ति के कमजोर अंगों को या रोगग्रस्त अंगों को प्रभावित करना शुरू कर देगा। व्यक्ति के शरीर में पहले हिटवेब के लक्षण उत्पन्न होने लगेंगे तथा शरीर का कोई भी अंग हो चाहे किसी भी रोग से ग्रस्त हो, उस रोग के इंटेंसिटी, इलेक्ट्रो मैग्नेटिक पॉवर को बढ़ा देगा। जब शरिर के इलेक्ट मैग्नेटिक पॉवर बढ़ेंगा तो बॉडी का संतुलन बिगड़गा और ऐसी स्थिति मे शरिर मे असामान्य गतिविधी होने लगेंगे। भूत से प्रभावित व्यक्ति के शरिर के परमाणु ज्यादा इलेक्ट्रॉन गेन करने लगेंगे जिससे उसके शरिर के सेल एनर्जी का हास होना शुरु हो जाएंगा।  उस आत्मा के द्वारा व्यक्ति के शरीर के हीलिंग प्रोसेस को बाधित कर देगा, कमजोर कर देगा धिरे धिरे इंसान मौत के मुँह मे समा जएगा। इस प्रकार की अनेक तरह की हानी पहुंचाने वाली प्रक्रिया निरंतर जारी रखी जाती है। डायन या तांत्रिक पहले ये निर्णय करते हैं कि विरोधी को प्रताड़ित करना है या उसे जान से मारना हैं। प्रताड़ना के कई प्रकार हैं जैसे कष्ट देना, गंभीर कष्ट देना, मौत के समान कष्ट देना। कष्ट का प्रभाव व्यक्ती के शरिर पर कितना होगा ये व्यक्ति के दैवीय शक्ति, शरिर के प्रतिरोधी क्षमता और स्वस्थता पर निर्भर करता हैं। एसा भी नही हैं कि आप सब तरह से ठीक हैं तो आप नही मर सकते।





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